मेरा यह ख्याब मुक्कमल हो... यूँ तो आती हो रोज ख्याबों में मेरे कभी आओ जो हक़्क़ीकत में तो एक मुलाक़ात हो... यूँ तो चलते है ख्याबो में मीलो साथ हम कभी चलो जो हक़्क़ीकत में तो कोई बात हो... तुम हो एक अधूरा ख्याब मेरा अब ख्याबो में रहो तो बेहतर हो जो कभी हुये मुझसे रुबरु तो मेरा ये ख्याब हक़्क़ीकत हो... यूँ महकती है ख्याबो में भीनी सी महक तुम्हारी कभी लगाया जो गले मुझे तो नशा तुम्हारे ख्याबो का थोड़ा कम हो... तुम जो रोज़ आती हो मेरे ख्याबो में औऱ जो कभी मैं आ जाऊँ तुम्हारे ख्यालों में तो क्या बात हो... तुम मेरे अंदर बहते झरने का मीठा पानी या किसी ठण्डी हवा का झोका सा हो तुम मेरे ख्याबो का गुमान मेरा रहनुमा हो... यूँ तो ख्याबो में इतरा के दिखाती हो अदा 'ए' नज़ाक़त हमको जो न देखूं कभी तो ख्याबो में तुम अब मनाती हो... अब तो तुम भी ख्याबो में हमे अपना मानने लगे हो जो अब हक़्क़ीकत में भी अपना हक़ दिखाओ तो कोई नयी बात हो... यूँ जो मिलूँ कभी तुम से तो मेरे ख्याबो की वो रात मुक्कमल हो औऱ हो जो ये ख्याब मुक्कमल तो क्या बात हो... Nick Patel(Nikku)... #dreamland #life