ख्वाबों में।।। आफ़ताब सा दमकता चेहरा था, ख्वाबों में। अपने दिल पे यादों का पहरा था, ख्वाबों में। हर शख्स है मुक़्क़म्मल कहाँ इस जहाँ में, कुछ कदम चल ही तो ठहरा था, ख्वाबों में है मुश्किल बड़ा, ढूंढना मरहम इस मर्ज़ का, ग़म-ए-इश्क बड़ा ही गहरा था, ख्वाबों में। कर छांव ज़ुल्फ़ों की, सोये हम भी धूप में, हवा देने को आँचल भी लहरा था, ख्वाबों में। थाम हाथ, संग मेरे चल पड़े थे तुम भी तो, सिर मेरे सजता एक सेहरा था, ख्वाबों में। मियाद जो होती नहीं लम्बी, सब्ज़बागों की, हकीकत तो सच मे ही बहरा था, ख्वाबों में। ©रजनीश "स्वछंद" #NojotoQuote ख्वाबों में।।।