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हम जो आज हैं ,कल नहीं ।जो कल थे,वो आज नहीं। कल सभ

हम जो आज हैं ,कल नहीं ।जो कल थे,वो आज नहीं। कल 
सभी के थे,आज किसी के भी नही। कभी वर्तमान तो कभी
अतीत। कभी हकीकत तो फसाना।कभी नूर,कभी बेनूर।
किराए का घर है,बदलना तो पड़ेगा। तनहा आए थे, तनहा ही निकलना पड़ेगा।जिन्दगी इसी का नाम है।

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
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