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इंसान की जीवन यात्रा और सच बचपन में सबसे खुल कर

इंसान की जीवन यात्रा और  सच 

बचपन में सबसे खुल कर सच बोलता है
"पाप कह रहे हैं कि वो घर पर नहीं हैं"
अगले पड़ाव में पता चलता है -
मां -बाप के अलावा किसी से भी सच नही बोलना है 
 अगले पड़ाव में पता चलता है -
दोस्तों के अलावा किसी से भी सच नहीं बोलना है
अगले पड़ाव में  पता चलता है - 
किसी से भी सच नहीं बोलना है
अगले पड़ाव में पता चलता है -
 बीवी और कुछ दोस्तों के अलावा किसी से भी सच नहीं बोलना है 
अगले पड़ाव में पता चलता है -
 सबसे सच बोला जा सकता है 
अंत में जाते जाते पता चला चलता है-
 खुल कर  सबसे सच बोलना है

OUR END IS OUR BEGINNING

©pankaj mishra #इंसानी फितरत
इंसान की जीवन यात्रा और  सच 

बचपन में सबसे खुल कर सच बोलता है
"पाप कह रहे हैं कि वो घर पर नहीं हैं"
अगले पड़ाव में पता चलता है -
मां -बाप के अलावा किसी से भी सच नही बोलना है 
 अगले पड़ाव में पता चलता है -
दोस्तों के अलावा किसी से भी सच नहीं बोलना है
अगले पड़ाव में  पता चलता है - 
किसी से भी सच नहीं बोलना है
अगले पड़ाव में पता चलता है -
 बीवी और कुछ दोस्तों के अलावा किसी से भी सच नहीं बोलना है 
अगले पड़ाव में पता चलता है -
 सबसे सच बोला जा सकता है 
अंत में जाते जाते पता चला चलता है-
 खुल कर  सबसे सच बोलना है

OUR END IS OUR BEGINNING

©pankaj mishra #इंसानी फितरत