मेरे माँ-बाप के गुनाहो को तू माफ कर देना। लड़खड़ाये कदम जब इनके मुझको लाठी बना देना।। वक़्त की धूप कुछ बिगाड़ ना पाये दामन में इनके इतनी खुशबू बिखेर देना। मेरी किस्मत में लिखी मुस्कराहटे तू इनके हिस्से बाँट देना। चाहे उसकी कीमत मेरी ज़िन्दगी से काट देना।। ©Azhar Khan #Grandparents