Nojoto: Largest Storytelling Platform

मैं कोमल वह फूल सा, हर पल मुरझा जाता हूँ। यूं हर ए

मैं कोमल वह फूल सा,
हर पल मुरझा जाता हूँ।
यूं हर एक की बातों को,
अपना समझ लेता हूँ।
समझ गया हूँ, न हैं कोई यहाँ अपना।
अपना सब भ्रम हैं।
कहने को, तो सब हैं।
पर साथ मेरा कोई न हैं।

©writer_Suraj Pandit
  #cycle समझ गया हूँ  Miss khan cldeewana Deepika, Pandey Dayal "दीप, Goswami.. Afiri Boutique