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काश ऐसा होता, तू मुझ पे एक रहम करती। कि मुझ पे नही

काश ऐसा होता, तू मुझ पे एक रहम करती।
कि मुझ पे नहीं, अपनी सोच पे वहम करती।

©Diwan G
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