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तेरे लहजे में अब वो बात नही तेरे छूहन में अब वो ए

तेरे लहजे में अब वो बात नही 
तेरे छूहन में अब वो एहसास नही 
दूर बिठा जब मुझे भुला था तू
अब तेरे पास आने की चाह नही 
अश्क निकले जब आखों से मेरे
अब तेरे रूमाल से पोछने की जरूरत नही 
सोया ना था जब रातों को  मैं
अब तेरी लोरी सुनने की चाहत नही 
मैं तुझ बिन अकेला सही
पर तेरे साथ नही रहने की अब कोई चाहत नही

©Vibhaw Mishra जरूरत नहीं 

#SunSet
तेरे लहजे में अब वो बात नही 
तेरे छूहन में अब वो एहसास नही 
दूर बिठा जब मुझे भुला था तू
अब तेरे पास आने की चाह नही 
अश्क निकले जब आखों से मेरे
अब तेरे रूमाल से पोछने की जरूरत नही 
सोया ना था जब रातों को  मैं
अब तेरी लोरी सुनने की चाहत नही 
मैं तुझ बिन अकेला सही
पर तेरे साथ नही रहने की अब कोई चाहत नही

©Vibhaw Mishra जरूरत नहीं 

#SunSet