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आशियाना ए इश्क कहीं ले चल किसी और शहर में जहां मि

आशियाना

ए इश्क कहीं ले चल किसी और शहर में
जहां मिट्टी के घरों को आंधीयो से बिखेरा ना जाए 
सलामत रहे मुफलिजो के भूख 
नफरतों के नाम पर कोई सूली ना चढ़े ।

 धूप की तपिश में सूरज गवाह है 
हर सक्स नंगे पांव आशियाना बदला
ख्वाहिशें इतनी थी किसी पेड़ के नीचे छाव मिले
मगर हर शहर सियासत का दीवाना निकला ।।

©Golu Kr Singh आशियाना
#Social #Police 

#Trees
आशियाना

ए इश्क कहीं ले चल किसी और शहर में
जहां मिट्टी के घरों को आंधीयो से बिखेरा ना जाए 
सलामत रहे मुफलिजो के भूख 
नफरतों के नाम पर कोई सूली ना चढ़े ।

 धूप की तपिश में सूरज गवाह है 
हर सक्स नंगे पांव आशियाना बदला
ख्वाहिशें इतनी थी किसी पेड़ के नीचे छाव मिले
मगर हर शहर सियासत का दीवाना निकला ।।

©Golu Kr Singh आशियाना
#Social #Police 

#Trees