त्रिपुरा सुर का जब बढ़ा , जग में आत्याचार।
आकर भोलेनाथ ने , स्वयं किया संहार ।।१
शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा , कार्तिक का वो मास ।
दीप जलाकर देव सब , करें धरा उल्लास ।।२
करतें है गुरु पे सदा , हम सब अपने गर्व ।
कार्तिक के इस मास में , आता है गुरु पर्व ।।३ #कविता