एक रूपवती रोटी की रामकहानी आटाचक्की क़े दो पाटों क़े बीच गेहूं क़े दानो क़े घर्षण क़े संगीत से शुरू होती है और समाप्त होती है वो कहानी किसी भूखे की चिपटी हुई आँतों की पिटारी मे... जहां जाकर वो रोटी फिर पिसती है..... खून बनती है और तैयार करतीं है उन भूखों को फिर एक नई रोटी लपकने क़े लिए रोटी की राम कहानी