बारिश की बूंदों का इश्क है प्यासी धरती से
वो झूम के बरस रही है आज जर्रे जर्रे में,,,,,,
वह मिल ही गई अपने प्रियतम से
टूट कर गिर पड़ी है उसकी बाहों में,,,,,,,
और रह रह के याद आ जाती है महबूब की
यह बारिश उसकी यादों को और हवा दे देती है,,,,, #बारिश_और_तुम#बारिशहोरहीहै