खुद में रहकर वक्त बताओ तो अच्छा है खुद का परिचय खुद से कराओ तो अच्छा है दुनिया की भीड़ से अलग रह कर रोज खुद से खुद की मुलाकात कराओ तो अच्छा है बाहर के दीपक से रोशनी फैलाओ, उससे तो खुद के अंदर का दीपक जलाओ तो अच्छा है जिस्म को महक आने से तो रूह की खुशबू पिलाओ तो अच्छा है तनहाई में खामोशी के साथ बैठकर खुद को खुद की गजल सुनाओ तो अच्छा है जिंदगी की कशमकश से कहीं दूर तन्हा बैठकर मुस्कुराओ तो अच्छा है ©keerti rubru #booklover