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एक काटा था मन में जो चुभता रहा हो गया दूर फिर भी व

एक काटा था मन में जो चुभता रहा
हो गया दूर फिर भी वह दिखता रहा
समझ पाया ही कब बे मेरी बात को
मैं तो पागल था उसपे ही लिखता रहा।

©vimal kumar
  Ek Kata
vimalkumar5932

vimal kumar

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Ek Kata #शायरी

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