तु जो चाहें वो पा सकता हैं। हैं तुझमें वो जुनून तु कर सकता हैं। तेरे अंदर हैं क्षत्रियों का खून। तु चाहें तो संमदर का भी रूख मोड़ सकता हैं ©pratibha Singh thakur राजपूत