मुस्कुराहटें बेज़ार हैं ग़म के बाज़ार में इश्क़ भी बीमार है दोस्ती के प्यार में मुलाकातें गुमनाम है महफूज़ तो बस इंतज़ार है इस चाहतों के संसार में बेजुबान हैं ख्वाहिशें टूटे हुए मन में हैं हज़ार बंदिशें बंधे हुए जीवन में भींगना भी जो चाहे यह मन कभी,तो आँसू ही साथ रहते क्योंकि सूख चुकी है बारिशें आजकल सावन में मुस्कुराहटें ग़मगीन हैं किसी की चाहत में कुर्बत भी विलिन है एकतरफा मोहब्बत में अब तो आदत सी हो गई है रोते हुए मुस्कुराने की ज़िन्दगी भी हसीन है ग़म की सोहबत में #मुस्कुराहटें