Nojoto: Largest Storytelling Platform

चंद्रमा ने सुना इंसान इंसान की आहट मन में होने लग

चंद्रमा ने सुना 
इंसान इंसान की आहट
मन में होने लगी घबराहट
करने लगा त्राहिमाम
बचा लो घनश्याम
रोक लो,
आ चुका इंसान

बसाएगा अपनी बस्तियां
तोड़ेगा मेरी अस्थियां,
करके हौसले बुलंद
मचाएगा आतंक

हर तरफ बनेंगे,
गगनचुंबी मकान
निकल जाएगी
प्रदूषण से जान
बदल जाएगा
मेरा स्वरूप
बना देगे m मुझे
इंसान अब कुरूप !
 सुनील कुमार मौर्य बेखुद
गोरखपुर 




ha

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  # चांद का भय

# चांद का भय #कविता

7,794 Views