वो मेरा रोना•वो मेरा हँसना वो उनकी उँगली पकड़कर चलना वो बिखरी बिखरी सी कहानियाँ वो सब मेरे पिता की निशानियां | वो हर समय•एक का सिक्का मांगना वो डर के मारे सुबह जल्दी जागना वो प्यार से सर को सहलाना वो प्यार से बेटा पुकारना | बाजार जाने के लिए उन्हें ढूंढ कर लाना खाने के लिए बहुत कुछ मंगाना आंखों से हमें अपनी ओझल न होने देना लेकिन मुझे याद है उनका अकस्मात जाना | मुझे याद है उनकी हर एक बातें मुझे याद है वो रोती हुई रातें मुझे याद है अपनी हर एक नादानियाँ मुझे याद है मेरे पिता, उनसे मिले आदर्श और हर एक निशानियां | - V V Nothing to say