ये नयन कुछ कहना चाहे कह कर भी कुछ नहीं कह पाते ये नयन शब्दों से अनजान है क्यों संग अधर पिघल समंदर बन जाये और पिघरकर अनकहें, अनसुने अहसासों के समंदर में ज्वार लाये तब भी अंतरमन की व्यथा शब्द कह ना पाये। -झलक अग्रवाल #Eyesspeaks #thought #writingcommunity #dailywrites #Quotes #shortpoetry