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यत् सारभूतं तदुपासितव्यं, हंसो यथा क्षीरमिवाम्भुमध

यत् सारभूतं तदुपासितव्यं, हंसो यथा क्षीरमिवाम्भुमध्यात्॥ 
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः । 
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः॥

 अर्थात् : कोई भी काम कड़ी मेहनत के बिना पूरा नहीं किया जा सकता है सिर्फ सोचने भर से कार्य नहीं होते है, उनके लिए प्रयत्न भी करना पड़ता है। कभी भी सोते हुए शेर के मुंह में हिरण खुद नहीं आ जाता उसे शिकार करना पड़ता है।

©Ramjeet Sharma ( Mr Wow )
  #Sanskrit_Gyan 😊🙏 LoVe YoU # Diwan G @(divi) p@ndey writer Sunita singh Mrityunjay From Champaran
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Ramjeet

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