तुमसे मुंह फुलाना मेरा वो कभी रूठना तेरा,मनाना मेरा लाज़मी है क्योंकि तुम मेरे हो वो पीठ में एक मुक्का देना तो कभी कंधे पर दोस्ती का हाथ रखना लाज़मी है क्योंकि तुम मेरे हो कुछ अपनों से ही तो होती हैं शिकायतें कुछ अपनों से ही होती है मुक्केबाज़ीयां लाज़मी है क्योंकि तुम मेरे हो मुझे पता है मेरी आंखों में आंसू आते ही रो पड़ते हो तुम भी इसलिए तो तुम्हारा हर सितम गंवारा है क्योंकि तुम मेरे हो रचनाकार गायक विपुल दोशी नारोल अहमदाबाद ©Singer vipul doshi Dosti ka haath