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Rain बादल और मैं मैं और बादल कभी गर्जन कभी महक कभ

Rain बादल और मैं
मैं और बादल
कभी गर्जन 
कभी महक
कभी थे बरखा संग
लहराते पेड़-पौधे
मुस्कुरा रहे हवा के संग
चेहरे पर रौनक 
बहार जो थी हर-तरफ
भीगने लगे पँछी 
भीगने लगे पेड़-पौधे
महकने लगी घास धरा की
नाचने लगी बूंदे बारिश की
भीग लिए हम तन-मन से
खो गए कंही प्रकृति में
आँखें मुस्कुरा रही 
धरती अंबर से राग अलाप रही
हो गए दोनों एकाकार जैसे 
खुल गए दिल के नयन
सौंधी-सौंधी महक धरा की
फैल गई दिल से दिल तक
मौन मुस्कानें जाग उठी।
है न स्वप्न...! #rain
Rain बादल और मैं
मैं और बादल
कभी गर्जन 
कभी महक
कभी थे बरखा संग
लहराते पेड़-पौधे
मुस्कुरा रहे हवा के संग
चेहरे पर रौनक 
बहार जो थी हर-तरफ
भीगने लगे पँछी 
भीगने लगे पेड़-पौधे
महकने लगी घास धरा की
नाचने लगी बूंदे बारिश की
भीग लिए हम तन-मन से
खो गए कंही प्रकृति में
आँखें मुस्कुरा रही 
धरती अंबर से राग अलाप रही
हो गए दोनों एकाकार जैसे 
खुल गए दिल के नयन
सौंधी-सौंधी महक धरा की
फैल गई दिल से दिल तक
मौन मुस्कानें जाग उठी।
है न स्वप्न...! #rain