हर मंदिर का दरवाझा संकरा रखा गया है जो आदमी झुकता नहीं उसे भी सर झुका कर घुसना होगा कोई किसी का नहीं यहां सब मतलब की यारी है रात ढलने क़े बाद तो जुगनू को भी यहाँ से जाना होगा जिंदगी मिली है तो मौत भी झेलनी पड़ेगी अभी अभी आये हो तो कल यहां से जाना भी होगा सांस लेने की रस्म तो हर पल हमें निभानी होंगी और जी ने क़े साथ हर रोज़ थोड़ा मरना भी होगा नहीं हो सकता बदलाव तुम्हारी जिन्दगीमे कभी भी तुम्हे बदलने से पहले अब ज़माने को बदलना होगा पूरा दिन रात क़े ख्वाबों का मतलब ढूंढ़ने मे निकला. और फिर हर रात उन ख्वाबों को दुबारा सज़ाना होगा ©Parasram Arora मतलब की यारी