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#OpenPoetry "शहीद कैप्टेन पवन कुमार" "15 जनवरी 19

#OpenPoetry "शहीद कैप्टेन पवन कुमार"

"15 जनवरी 1993" को वो सितारा इस दुनिया में आया था,
"जींद" के शिक्षक माता-पिता के घर उजाला लेकर लाया था.
एकलौता था, लाड़ प्यार से पाला पोसा गया था,
कुछ कर गुज़रने का सपना आँखों में उसके रहता था
इसीलिए तो फ़ौज को उसने चुना था.
फौजी बनना शायद भगवान से किस्मत में लिखवा कर लाया था,
इत्तफाक कहो इसे या किस्मत, पर वो 'आर्मी डे' के दिन ही तो दुनिया में आया था.
"14 दिसंबर 2013" को उसने अपना सपना पूरा कर लिया था,
आसमानी सितारों से खूबसूरत सितारें, वो अपने कंधों पर ले आया था.
देश सेवा की भावना दिल में लिए, इसी दिन वो आर्मी के "डोगरा रेजिमेंट" में अफसर बन गया था,
ज़िंदगी में कुछ "स्पेशल" करना था उसको, इसीलिए तो उसने "स्पेशल फोर्सेस" को चुना था.
"जून 2015" में "10 स्पेशल फोर्सेस" में जाकर "मैरून बैरेट" उसने कमाया था,
जो उसकी वर्दी के साथ-साथ उसकी शान में भी चार चाँद लगाता था.
बहुत बहादुर था वो, तभी तो इतनी सी उम्र में इतना कुछ पाया था.
पर ईश्वर ने तो कुछ और ही लिखा था उसके भाग्य में,
तभी तो "21 फरवरी 2016" का वो मनहूस दिन उसकी किस्मत में आया था.
जिस समय देश में "आरक्षण" और "देश के टुकड़े" करने वाले चिल्ला रहे थे,
उस समय "पंपोर" में वो ख़ामोशी से अपना फर्ज़ निभा रहा था.
सीना तानकर दुश्मनों से लड़ा था वो,
और फिर लड़ते-लड़ते "वीरगति" को प्राप्त हो गया था वो.
कुछ बड़ा करना चाहता था, इसीलिए तो देश के लिए अपना सबसे बड़ा फ़र्ज़ निभा गया वो.
और "23 साल" की छोटी सी उम्र में अपने नाम के आगे "शहीद" लिखवा गया वो.
माँ बाप के लिए जीने से पहले, देश की रक्षा के लिए मर मिट गया वो,
बड़ी ख्वाहिश कहाँ थी उसकी, "आरक्षण" और "आज़ादी" की जगह बस अपनी "रज़ाई" ही तो चाहता था वो.
"पवन" नाम था उसका, एक जगह कहाँ रुकता,
इसीलिए तो धरती पर इंसानों में खुशियाँ बांटकर,
ख़ुदा से मिलने चला गया वो. #openpoetry
#Country
#शहीद
#देशप्रेम
#फर्ज़
#OpenPoetry "शहीद कैप्टेन पवन कुमार"

"15 जनवरी 1993" को वो सितारा इस दुनिया में आया था,
"जींद" के शिक्षक माता-पिता के घर उजाला लेकर लाया था.
एकलौता था, लाड़ प्यार से पाला पोसा गया था,
कुछ कर गुज़रने का सपना आँखों में उसके रहता था
इसीलिए तो फ़ौज को उसने चुना था.
फौजी बनना शायद भगवान से किस्मत में लिखवा कर लाया था,
इत्तफाक कहो इसे या किस्मत, पर वो 'आर्मी डे' के दिन ही तो दुनिया में आया था.
"14 दिसंबर 2013" को उसने अपना सपना पूरा कर लिया था,
आसमानी सितारों से खूबसूरत सितारें, वो अपने कंधों पर ले आया था.
देश सेवा की भावना दिल में लिए, इसी दिन वो आर्मी के "डोगरा रेजिमेंट" में अफसर बन गया था,
ज़िंदगी में कुछ "स्पेशल" करना था उसको, इसीलिए तो उसने "स्पेशल फोर्सेस" को चुना था.
"जून 2015" में "10 स्पेशल फोर्सेस" में जाकर "मैरून बैरेट" उसने कमाया था,
जो उसकी वर्दी के साथ-साथ उसकी शान में भी चार चाँद लगाता था.
बहुत बहादुर था वो, तभी तो इतनी सी उम्र में इतना कुछ पाया था.
पर ईश्वर ने तो कुछ और ही लिखा था उसके भाग्य में,
तभी तो "21 फरवरी 2016" का वो मनहूस दिन उसकी किस्मत में आया था.
जिस समय देश में "आरक्षण" और "देश के टुकड़े" करने वाले चिल्ला रहे थे,
उस समय "पंपोर" में वो ख़ामोशी से अपना फर्ज़ निभा रहा था.
सीना तानकर दुश्मनों से लड़ा था वो,
और फिर लड़ते-लड़ते "वीरगति" को प्राप्त हो गया था वो.
कुछ बड़ा करना चाहता था, इसीलिए तो देश के लिए अपना सबसे बड़ा फ़र्ज़ निभा गया वो.
और "23 साल" की छोटी सी उम्र में अपने नाम के आगे "शहीद" लिखवा गया वो.
माँ बाप के लिए जीने से पहले, देश की रक्षा के लिए मर मिट गया वो,
बड़ी ख्वाहिश कहाँ थी उसकी, "आरक्षण" और "आज़ादी" की जगह बस अपनी "रज़ाई" ही तो चाहता था वो.
"पवन" नाम था उसका, एक जगह कहाँ रुकता,
इसीलिए तो धरती पर इंसानों में खुशियाँ बांटकर,
ख़ुदा से मिलने चला गया वो. #openpoetry
#Country
#शहीद
#देशप्रेम
#फर्ज़