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दर्द तेरा कौन जान पाएगा? यहाँ मानव नही, दानव बसते

दर्द तेरा कौन जान पाएगा? 
यहाँ मानव नही, दानव बसते हैं ,
ह्रदय ने जिसके मानवता 
को ही कलंकित दिया, 
पूछ रहें हैं,,,,,,,, समस्त जानवर! 
तुमने और हममें भेद किस बात का? 
जो जीव तुम्हारे है, वही जीव हमारे है,
बस! तुम बोलकर अपना दर्द 
बयान कर सकते हो, 
और हम आसूँ बहाकर ?
आज तुमने सिर्फ मेरी ही हत्या नही की, 
साथ में मेरे अजन्में बच्चे को भी मार दिया, 
दोष भूख का ही था, 
मैने तुम मानव जाति पर विश्वास कर लिया, 
और बदले में तुमने मुहझे 
मौत के घाट ही उतार दिया |
कैसे तुम क्रुर इतने हो गए ?
दुनिया  सुंदर है,  पर!  
तुम जैसे पापियों से भरी हैं |
ये मेरी वेदना, विरह है, 
जो एक माँ की होती हैं, |
तुम्हारे इसी कर्म से 
ये दुनिया अभिशापित हुई हैं, 
मेरे लहू की हर बूँद तुम्हें श्राप देगीं,
आज तुम खुश हों, पर!  
मेरे इष्ट ही तुम्हारा सर्वनाश करेंगे, 
   गीता शर्मा 'प्रणय' हाथी का दर्द
दर्द तेरा कौन जान पाएगा? 
यहाँ मानव नही, दानव बसते हैं ,
ह्रदय ने जिसके मानवता 
को ही कलंकित दिया, 
पूछ रहें हैं,,,,,,,, समस्त जानवर! 
तुमने और हममें भेद किस बात का? 
जो जीव तुम्हारे है, वही जीव हमारे है,
बस! तुम बोलकर अपना दर्द 
बयान कर सकते हो, 
और हम आसूँ बहाकर ?
आज तुमने सिर्फ मेरी ही हत्या नही की, 
साथ में मेरे अजन्में बच्चे को भी मार दिया, 
दोष भूख का ही था, 
मैने तुम मानव जाति पर विश्वास कर लिया, 
और बदले में तुमने मुहझे 
मौत के घाट ही उतार दिया |
कैसे तुम क्रुर इतने हो गए ?
दुनिया  सुंदर है,  पर!  
तुम जैसे पापियों से भरी हैं |
ये मेरी वेदना, विरह है, 
जो एक माँ की होती हैं, |
तुम्हारे इसी कर्म से 
ये दुनिया अभिशापित हुई हैं, 
मेरे लहू की हर बूँद तुम्हें श्राप देगीं,
आज तुम खुश हों, पर!  
मेरे इष्ट ही तुम्हारा सर्वनाश करेंगे, 
   गीता शर्मा 'प्रणय' हाथी का दर्द