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हमें तो आख़िर ये देखना है रहेगी लहज़े में धार कब

 हमें तो आख़िर  ये  देखना है
रहेगी लहज़े में धार कब तक

तुम्हारे लफ़्ज़ों की कैंचियों से
परिंदे  होंगे  शिकार  कबतक

ये वक़्त दुनिया में जिंदगी भर
किसी का  होकर  नहीं रहा है

रहेंगे  हम   बेवकूफ  कबतक
बनोगे तुम होशियार कब तक

©Mehfil-e-Mohabbat
  ✍️♥️ नदीम फारूख ♥️✍️

✍️♥️ नदीम फारूख ♥️✍️ #शायरी

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