जवानी के दिन भी निकल जाएँगे ये गोले हैं साबुन, के गल जाएँगे //१ ज़रा खौल दिल के पतीले में तू हम आलू हैं, जल्दी उबल जाएँगे //२ ~राज़ नवादवी पेशे ख़िदमत हैं दो अशआर