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लोग पत्थर को गुनहगार मान बैठे, के पत्थर ने कांच तो

लोग पत्थर को गुनहगार मान बैठे,
के पत्थर ने कांच तोड़ा है।
नोहरा  तुम  ये तो देख लेते,
है वह हाथ किसका, जिसने पत्थर छोड़ा है।

©Suneel Nohara
  टारगेट  Anshu writer शायरी ए आवाज़ Rakesh Srivastava चाँदनी खामोशी और दस्तक