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किस्मतें जब लिखीं वक्त ने सोचकर बदनसीबी हमारे ही ह

किस्मतें जब लिखीं वक्त ने सोचकर
बदनसीबी हमारे ही हिस्से लिखी।

दर्द इतना ख़ुदा दुश्मनों को न दे
आब आँखों का फिर सूख जाए कहीं

       जिंदगी का अलग रुख़ हमेशा रहा
       हमनें  माँगा कभी वो मिला ही नहीं   

 दौर होता नहीं     एक जैसा कभी
मुश्किलों से  अभी लड़ रहे हैं सनम

अनिल कुमार निश्छल 
हमीरपुर बुंदेलखंड उ0प्र0

©ANIL KUMAR
   किस्मतें जब लिखीं वक्त ने सोचकर
बदनसीबी हमारे ही हिस्से लिखी।

दर्द इतना ख़ुदा दुश्मनों को न दे
आब आँखों का फिर सूख जाए कहीं

       जिंदगी का अलग रुख़ हमेशा रहा
       हमनें  माँगा कभी वो मिला ही नहीं
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ANIL KUMAR

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किस्मतें जब लिखीं वक्त ने सोचकर बदनसीबी हमारे ही हिस्से लिखी। दर्द इतना ख़ुदा दुश्मनों को न दे आब आँखों का फिर सूख जाए कहीं जिंदगी का अलग रुख़ हमेशा रहा हमनें माँगा कभी वो मिला ही नहीं #शेर #शायरी #viral #shairi #मुश्किलें #अनिल_कुमार_निश्छल #viralpost #BehtiHawaa

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