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हँसते -हँसते जिन्होंने आजादी के लिए फाँसी के फंद

हँसते -हँसते  जिन्होंने आजादी
 के लिए फाँसी के फंदों पर झूल गए,
कुछ भारत मे ही रहने वाले देशद्रोही 
इनकी शहादत भूल गए । //diksha// कवि देवीलाल पंवार‌ Pathak ji  Sonia Rashmi Nayak
हँसते -हँसते  जिन्होंने आजादी
 के लिए फाँसी के फंदों पर झूल गए,
कुछ भारत मे ही रहने वाले देशद्रोही 
इनकी शहादत भूल गए । //diksha// कवि देवीलाल पंवार‌ Pathak ji  Sonia Rashmi Nayak