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इबारत ए मोहब्बत किसी ने करी किसी ने नहीं रहनुमा ए

इबारत ए मोहब्बत किसी ने करी किसी ने नहीं 
रहनुमा ए इश्क किसी ने करी किसी ने नहीं
गर्दीशो में रहती है इबादत ए मोहब्बत की किताब 
खोल के पन्ने किताब के किसी ने पड़े किसी ने नहीं 
यह कारवां किसी मोहब्बत की तामील कुछ इस तरह 
रह जाए चांद अधूरा वो इबादत किसी ने करी किसी ने नहीं 
विरह सी बीती जिंदगी चमचमाते सितारे की कहानी 
रहता है रोशन नूर उसका वो तमन्ना किसी ने करी किसी ने नहीं
रहनुमा आलीशान से दरख़्त की धूप सेक रहा 
रह गया गुलाब हाथ में वो खुशबू किसी ने ली किसी ने नहीं

©Sanidhya Mangal
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