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दिन पर दिन परत दर परत भारी हो रहा मुखौटा असली चेहर

दिन पर दिन
परत दर परत
भारी हो रहा मुखौटा
असली चेहरा अब
थकने लगा/उबने लगा.....
कब तक सहना होगा
इसका बोझ?
सच को झूठ से
छुपाना होगा,, कब तक
कागज के फूलों से 
आ रही है खुशबू
कहना होगा,, कब तक?

मन मे आता है
उखाड़ दूँ/नोच दूँ
कर दूँ आजाद
और जी लूँ
सिर्फ सच बनकर
सांस ले सकूँ
खुल कर......

लेकिन रोक लेता है
हर बार ही
तनहा होने का भय,,
मुखौटों के जंगल में।। दिन पर दिन
परत दर परत
भारी हो रहा मुखौटा
असली चेहरा अब
थकने लगा/उबने लगा.....
कब तक सहना होगा
इसका बोझ?
सच को झूठ से
दिन पर दिन
परत दर परत
भारी हो रहा मुखौटा
असली चेहरा अब
थकने लगा/उबने लगा.....
कब तक सहना होगा
इसका बोझ?
सच को झूठ से
छुपाना होगा,, कब तक
कागज के फूलों से 
आ रही है खुशबू
कहना होगा,, कब तक?

मन मे आता है
उखाड़ दूँ/नोच दूँ
कर दूँ आजाद
और जी लूँ
सिर्फ सच बनकर
सांस ले सकूँ
खुल कर......

लेकिन रोक लेता है
हर बार ही
तनहा होने का भय,,
मुखौटों के जंगल में।। दिन पर दिन
परत दर परत
भारी हो रहा मुखौटा
असली चेहरा अब
थकने लगा/उबने लगा.....
कब तक सहना होगा
इसका बोझ?
सच को झूठ से
seemakatoch7627

Seema Katoch

New Creator

दिन पर दिन परत दर परत भारी हो रहा मुखौटा असली चेहरा अब थकने लगा/उबने लगा..... कब तक सहना होगा इसका बोझ? सच को झूठ से #yqbaba #yqdidi #बूंदे