Nojoto: Largest Storytelling Platform

दूरदर्शन.......... बिते हुए लम्हों का वो पल खूबसू

दूरदर्शन..........

बिते हुए लम्हों का वो पल खूबसूरत था...।
tv में रंग नही था पर जीने मे था ।
इस दौर के गुमराह करने वाले बहुत सारे चैनलों से वह 
एक चैनल का दौर ही सही था ।

सभी धारावाहिक सब मिलजुल बैठकर 
बड़े मजे से देखा करते थे ....।
न चैनल बदलने का खौंफ था 
न बहुत सारे ADVT. आते थे।
सौंदर्य साबुन नीमा का वह गीत 
आज भी याद है ।
हेमा जया लता और सुषमा आज भी याद है ।
 वो सुबह tv पर आने वाला स्कूल चले हम गीत याद है ।
जिस को सुनकर हम स्कूल की छुट्टी कैंसल कर लेते थे ।
 
वो दादा दादी का रामायण हमें सच्चाई नीति धर्म का पाठ पढ़ाते थे ।
वो सैटरडे को छुट्टी के बाद पारले-जी खाकर जुनियर जी 
देखने के लिए प्रार्थना के बाद घर जल्दी जाने की लिए 
भागते हुए जाने में मजा ही कुछ और था ।
अपने पसंद के सीरियल में सिग्नल जाने पर 
एक दोस्त एंटेना घुमाकर सिग्नल लाया करता था। .......
वो भी इक दौर था .......ये दौर कुछ और है..... ।
 वो वो Sunday का सुबह का शक्तिमान के दीवाने 
आज भी भूले नहीं ।
शक्तिमान का बच्चो को दिया सीख आज भी भूले नहीं ।
वो आर्यमान भी हमे बहुत भाता था ।
बच्चे दादा दादी मां पापा सब का अपना अपना टाइम था tv देखने का 
इसकी कभी हमे लत नही लगती थी ।
सुबह रंगोली में लगे गाने पर tv का आवाज़ बढ़ा देते थे
वो शुक्रवार रात का मूवी को लेकर पागलपन था ।
वो आप भीति का खौंफ हमे सोने नही देता था l
सचिन का क्रिकेट भी इसी में आता था l
उस दौर में न्यूज भी सच थे और लोग भी ।


चैनल एक ही था पर उसमे ही कृषि सलाह
हेल्थ को लेकर डॉक्टर की सलाह मूवीज सीरियल
न्यूज गाने सब आ जाते थे ।
सब का इक वक्त था 
यह हमे manegment सिखाता था l
वह भी इक दौर था l
यादों की पन्नो में कैद  है ।
कहा आ गए इस Netflix YouTube dishtv के दौर में
वो  दूरदर्शन का दौर ही कितना सही था...... ।

©Dharmendra Gopatwar #दूरदर्शन
दूरदर्शन..........

बिते हुए लम्हों का वो पल खूबसूरत था...।
tv में रंग नही था पर जीने मे था ।
इस दौर के गुमराह करने वाले बहुत सारे चैनलों से वह 
एक चैनल का दौर ही सही था ।

सभी धारावाहिक सब मिलजुल बैठकर 
बड़े मजे से देखा करते थे ....।
न चैनल बदलने का खौंफ था 
न बहुत सारे ADVT. आते थे।
सौंदर्य साबुन नीमा का वह गीत 
आज भी याद है ।
हेमा जया लता और सुषमा आज भी याद है ।
 वो सुबह tv पर आने वाला स्कूल चले हम गीत याद है ।
जिस को सुनकर हम स्कूल की छुट्टी कैंसल कर लेते थे ।
 
वो दादा दादी का रामायण हमें सच्चाई नीति धर्म का पाठ पढ़ाते थे ।
वो सैटरडे को छुट्टी के बाद पारले-जी खाकर जुनियर जी 
देखने के लिए प्रार्थना के बाद घर जल्दी जाने की लिए 
भागते हुए जाने में मजा ही कुछ और था ।
अपने पसंद के सीरियल में सिग्नल जाने पर 
एक दोस्त एंटेना घुमाकर सिग्नल लाया करता था। .......
वो भी इक दौर था .......ये दौर कुछ और है..... ।
 वो वो Sunday का सुबह का शक्तिमान के दीवाने 
आज भी भूले नहीं ।
शक्तिमान का बच्चो को दिया सीख आज भी भूले नहीं ।
वो आर्यमान भी हमे बहुत भाता था ।
बच्चे दादा दादी मां पापा सब का अपना अपना टाइम था tv देखने का 
इसकी कभी हमे लत नही लगती थी ।
सुबह रंगोली में लगे गाने पर tv का आवाज़ बढ़ा देते थे
वो शुक्रवार रात का मूवी को लेकर पागलपन था ।
वो आप भीति का खौंफ हमे सोने नही देता था l
सचिन का क्रिकेट भी इसी में आता था l
उस दौर में न्यूज भी सच थे और लोग भी ।


चैनल एक ही था पर उसमे ही कृषि सलाह
हेल्थ को लेकर डॉक्टर की सलाह मूवीज सीरियल
न्यूज गाने सब आ जाते थे ।
सब का इक वक्त था 
यह हमे manegment सिखाता था l
वह भी इक दौर था l
यादों की पन्नो में कैद  है ।
कहा आ गए इस Netflix YouTube dishtv के दौर में
वो  दूरदर्शन का दौर ही कितना सही था...... ।

©Dharmendra Gopatwar #दूरदर्शन