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साहिल कि हमें अब कोई चाहत भी नही है कश्ती को समंदर

साहिल कि हमें अब कोई चाहत भी नही है
कश्ती को समंदर से शिकायत भी नही है
अब प्यार मिले या न मिले फर्क नहीं कुछ
अपना ले कोई हमको ये हसरत भी नही है

अब ना तो मोहब्बत है हमें आपसे बिल्कुल
और दिल में हमरे कोई नफ़रत भी नही है
दीवार उठ गई है रिश्तों में ऊंची
खुशियों के परिंदो के लिए छत भी नही है

हम जिसके हुए उसने कोई कद्र नही की
हम आपके हो जाए ये किस्मत में भी नही
तस्वीर नही है उस शख्स की अब तो
हाथो से लिखा उसका कोई खत भी नही है

कुछ और सहेंजू ललित मेरी रूह को मुझमें
ऐसी तो मेरी अब कोई हालात भी नही है।

©Lalit Saxena #रिश्ते_की_डोर
साहिल कि हमें अब कोई चाहत भी नही है
कश्ती को समंदर से शिकायत भी नही है
अब प्यार मिले या न मिले फर्क नहीं कुछ
अपना ले कोई हमको ये हसरत भी नही है

अब ना तो मोहब्बत है हमें आपसे बिल्कुल
और दिल में हमरे कोई नफ़रत भी नही है
दीवार उठ गई है रिश्तों में ऊंची
खुशियों के परिंदो के लिए छत भी नही है

हम जिसके हुए उसने कोई कद्र नही की
हम आपके हो जाए ये किस्मत में भी नही
तस्वीर नही है उस शख्स की अब तो
हाथो से लिखा उसका कोई खत भी नही है

कुछ और सहेंजू ललित मेरी रूह को मुझमें
ऐसी तो मेरी अब कोई हालात भी नही है।

©Lalit Saxena #रिश्ते_की_डोर