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लहू का रंग मज़हबी नाम पर होगा? मेरी शहादत का इल्जा

लहू का रंग मज़हबी नाम पर होगा?

मेरी शहादत का इल्जाम कभी सुबह कभी शाम पर होगा,
लहू का रंग मेरे क्या लाल नही, ये मज़हबी नाम पर होगा।

दो बाजुएं फडकतीं हैं मेरी, कि तुम चैन-ओ-सुकूं से रहो,
क्या फैसला मेरे कफन का अब, छलकती जाम पर होगा। #NojotoQuote लहू का रंग मज़हबी नाम पर होगा?

मेरी शहादत का इल्जाम कभी सुबह कभी शाम पर होगा,
लहू का रंग मेरे क्या लाल नही, ये मज़हबी नाम पर होगा।

दो बाजुएं फडकतीं हैं मेरी, कि तुम चैन-ओ-सुकूं से रहो,
क्या फैसला मेरे कफन का अब, छलकती जाम पर होगा।
लहू का रंग मज़हबी नाम पर होगा?

मेरी शहादत का इल्जाम कभी सुबह कभी शाम पर होगा,
लहू का रंग मेरे क्या लाल नही, ये मज़हबी नाम पर होगा।

दो बाजुएं फडकतीं हैं मेरी, कि तुम चैन-ओ-सुकूं से रहो,
क्या फैसला मेरे कफन का अब, छलकती जाम पर होगा। #NojotoQuote लहू का रंग मज़हबी नाम पर होगा?

मेरी शहादत का इल्जाम कभी सुबह कभी शाम पर होगा,
लहू का रंग मेरे क्या लाल नही, ये मज़हबी नाम पर होगा।

दो बाजुएं फडकतीं हैं मेरी, कि तुम चैन-ओ-सुकूं से रहो,
क्या फैसला मेरे कफन का अब, छलकती जाम पर होगा।

लहू का रंग मज़हबी नाम पर होगा? मेरी शहादत का इल्जाम कभी सुबह कभी शाम पर होगा, लहू का रंग मेरे क्या लाल नही, ये मज़हबी नाम पर होगा। दो बाजुएं फडकतीं हैं मेरी, कि तुम चैन-ओ-सुकूं से रहो, क्या फैसला मेरे कफन का अब, छलकती जाम पर होगा।