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मुकुलितकलिकावलि छन्द 212    111    111    212 शाप

मुकुलितकलिकावलि छन्द
212    111    111    212

शाप मुक्त कब यह धरा हुई ।
राम संग सिय जब व्यथा हुई ।।
देवभूमि अवध कहते रहे ।
राम-राम भजन करते रहे ।।

११/०१/२०२३     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुकुलितकलिकावलि छन्द


212    111    111    212


शाप मुक्त कब यह धरा हुई ।
मुकुलितकलिकावलि छन्द
212    111    111    212

शाप मुक्त कब यह धरा हुई ।
राम संग सिय जब व्यथा हुई ।।
देवभूमि अवध कहते रहे ।
राम-राम भजन करते रहे ।।

११/०१/२०२३     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुकुलितकलिकावलि छन्द


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शाप मुक्त कब यह धरा हुई ।

मुकुलितकलिकावलि छन्द 212    111    111    212 शाप मुक्त कब यह धरा हुई । #कविता