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वहाँ उस दश्त में वैसे तो सब सूखा हुआ था मगर कुछ द

वहाँ उस दश्त में वैसे तो सब सूखा हुआ था 
मगर कुछ दूर  इक सोते से पानी रिस रहा था 

कहा था उसने आना है तो बस लेकिन वहाँ पर 
सभी थे अजनबी मेरे लिए सब कुछ नया था 

चलो अच्छा है उसको आज भी इसका यक़ी है
वहाँ उस रोज़ मेरी आँख में कुछ गिर गया था 

वो जब ये कहते कहते रुक गई सब ठीक है बस 
मेरा मन तो था उससे बोल दूँ मैं क्या बुरा था ?

गणित कमज़ोर था मेरा मगर इतना नहीं था 
घटाकर आ गया उसको मैं जिसको जोड़ना था 

वो इक सपना कि जिसमें मैं था वो थी और हम थे 
बिछड़ते वक़्त वो इक साँप  बनने लगे गया  था ?

जुदा होते ही उससे बढ़ गई इस तौर हिद्दत 
बुझी सिगरेट थी हाथों में और मैं जल रहा था

©CharanJeet Charan
  वहाँ उस दश्त में वैसे तो सब सूखा हुआ था 
मगर कुछ दूर  इक सोते से पानी रिस रहा था 

कहा था उसने आना है तो बस लेकिन वहाँ पर 
सभी थे अजनबी मेरे लिए सब कुछ नया था 

चलो अच्छा है उसको आज भी इसका यक़ी है
वहाँ उस रोज़ मेरी आँख में कुछ गिर गया था

वहाँ उस दश्त में वैसे तो सब सूखा हुआ था मगर कुछ दूर इक सोते से पानी रिस रहा था कहा था उसने आना है तो बस लेकिन वहाँ पर सभी थे अजनबी मेरे लिए सब कुछ नया था चलो अच्छा है उसको आज भी इसका यक़ी है वहाँ उस रोज़ मेरी आँख में कुछ गिर गया था #शायरी

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