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Alone है ज़रूरी जितना मैं उतना बदल जाऊंगा, मैं

Alone   है ज़रूरी जितना मैं उतना बदल जाऊंगा,

मैं फिर उदय होने को एक शाम ढल जाऊंगा।

एक खोटा सिक्का हूं तो सही संभाल कर रखो,

क़दर–दानों की दुकानों में देखना मैं चल जाऊंगा।

©एस पी "हुड्डन" #कद्रदान
Alone   है ज़रूरी जितना मैं उतना बदल जाऊंगा,

मैं फिर उदय होने को एक शाम ढल जाऊंगा।

एक खोटा सिक्का हूं तो सही संभाल कर रखो,

क़दर–दानों की दुकानों में देखना मैं चल जाऊंगा।

©एस पी "हुड्डन" #कद्रदान