अपनी नज़रों से सब गिराते हैं। रंग रलियों में सुकून पाते हैं। मुँह फेर क्यों लेती हैं औलादें। मा बाप जब बूढ़े हो जाते हैं। राष्ट्रीय चिंतन की पंक्तियाँ।। अपनी नज़रों से सब गिराते हैं। रंग रलियों में सुकून पाते हैं। मुँह फेर क्यों लेती हैं औलादें। मा बाप जब बूढ़े हो जाते हैं। नोजोटो