दंग रह गया चांद जब ऋषि साहब जैसा तारा सो गया, खेलती थीं अठखेलियां जो चांदनी,, अचानक धुंध में खो गया।। आज फिर इक सितारा गम में हमें छोड़ चला, रुखसत हो जहां से सबको झकझोर चला।। दी दस्तक मौत ने पहरा ज़िन्दगी का तोड़ गई, चमक रही थी फिल्मी दुनियां जिससे, उसको बस यादों में जोड़ गई।। क्या कहूं इस दर्द में, मेरे पास न कोई अल्फ़ाज़ है,, काबू करूं कैसे इन आंसुओं को, ये तो दिल से निकल रहा जज्बात है।। ऋषि सर को मेरा कोटि_कोटि नमन, बिन आपके सूना हो गया ये चमन।। WRITTEN BY(संतोष वर्मा) आजमगढ़ वाले खुद की जुबानी शत_शत नमन ऋषि साहब..