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सब ज़हन में रहते हैं मेरे किसी को दिल की गहराईयां

सब ज़हन में रहते हैं मेरे 
किसी को दिल की गहराईयां नही देता।

इल्ज़ाम फ़कत झूठ का है उसपे
मैं किसी को इल्ज़ाम-ए-बेवफाईयां नहीं देता।

मैं जिसको चाहता हूं उसके साथ खुद चलता हूं
पर किसी को अपनी परछाईयां नहीं देता।

जो कुछ भी कहता मुझसे कोई , मैं मान लेता हूं,
अब मैं किसी को सफाईयां नहीं देता।

©नितीश निसार #सफाईयां_नही_देता
सब ज़हन में रहते हैं मेरे 
किसी को दिल की गहराईयां नही देता।

इल्ज़ाम फ़कत झूठ का है उसपे
मैं किसी को इल्ज़ाम-ए-बेवफाईयां नहीं देता।

मैं जिसको चाहता हूं उसके साथ खुद चलता हूं
पर किसी को अपनी परछाईयां नहीं देता।

जो कुछ भी कहता मुझसे कोई , मैं मान लेता हूं,
अब मैं किसी को सफाईयां नहीं देता।

©नितीश निसार #सफाईयां_नही_देता