ना सुनी कभी किसी ने, बात मेरे दिल की। ना आई कभी खुशनुमा, रात मेरे दिल की। तोड़ कर दिल मेरा, वह मुस्कराते रहे। दिखा बेरुखी मुझे, हरदम सताते रहे। @©®✍️ सरबजीत संगरूरवी ©Sarbjit sangrurvi ना सुनी कभी किसी ने, बात मेरे दिल की। ना आई कभी खुशनुमा, रात मेरे दिल की। तोड़ कर दिल मेरा, वह मुस्कराते रहे। दिखा बेरुखी मुझे,