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आज सुबह कुछ ऐसा हुआ, मैंने वो सारे ख़ुशी के मंज़र,

आज सुबह कुछ ऐसा हुआ,
मैंने वो सारे ख़ुशी के मंज़र,एहसास को पूरसुकून छू कर देखा,
कोई जो रोकने वाला था,
शायद मोक्ष प्राप्त कर चुका था,
ख़्वाब पूरा होते ही,
मैं तुरंत उठ बैठा,
आँख मींची तो देखा तू सच में मेरे ठीक सामने दीवारों से लग कर खड़ा है, 
मैं धीमे से मुस्कुराने लगा,
इतने धीमे की सिर्फ़ हृदय को ख़बर रहे,
दरअसल मेरा रूह सामने था,
मुझसे विदा कह के जाने से पहले वो शायद जी भर कर मुझे देखना चाहता था,
मैं अब दूर कहीं बर्फ़ की वादियों में रोज़ देर तक आग लगा कर,
पिघलाता रहता हूँ,मेरा इल्हाम।
...(ilhaam)... 
✍mahfuz nisar © #twilight आज सुबह कुछ ऐसा हुआ,
मैंने वो सारे ख़ुशी के मंज़र,एहसास को पूरसुकून छू कर देखा,
कोई जो रोकने वाला था,
शायद मोक्ष प्राप्त कर चुका था,
ख़्वाब पूरा होते ही,
मैं तुरंत उठ बैठा,
आँख मींची तो देखा तू सच में मेरे ठीक सामने दीवारों से लग कर खड़ा है, 
मैं धीमे से मुस्कुराने लगा,
आज सुबह कुछ ऐसा हुआ,
मैंने वो सारे ख़ुशी के मंज़र,एहसास को पूरसुकून छू कर देखा,
कोई जो रोकने वाला था,
शायद मोक्ष प्राप्त कर चुका था,
ख़्वाब पूरा होते ही,
मैं तुरंत उठ बैठा,
आँख मींची तो देखा तू सच में मेरे ठीक सामने दीवारों से लग कर खड़ा है, 
मैं धीमे से मुस्कुराने लगा,
इतने धीमे की सिर्फ़ हृदय को ख़बर रहे,
दरअसल मेरा रूह सामने था,
मुझसे विदा कह के जाने से पहले वो शायद जी भर कर मुझे देखना चाहता था,
मैं अब दूर कहीं बर्फ़ की वादियों में रोज़ देर तक आग लगा कर,
पिघलाता रहता हूँ,मेरा इल्हाम।
...(ilhaam)... 
✍mahfuz nisar © #twilight आज सुबह कुछ ऐसा हुआ,
मैंने वो सारे ख़ुशी के मंज़र,एहसास को पूरसुकून छू कर देखा,
कोई जो रोकने वाला था,
शायद मोक्ष प्राप्त कर चुका था,
ख़्वाब पूरा होते ही,
मैं तुरंत उठ बैठा,
आँख मींची तो देखा तू सच में मेरे ठीक सामने दीवारों से लग कर खड़ा है, 
मैं धीमे से मुस्कुराने लगा,
mahfuzmonu5015

Mahfuz nisar

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