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स्पर्श तुम्हारा....! जैसे निर्मल हरे पत्तों पर ओं

 स्पर्श तुम्हारा....!
जैसे निर्मल हरे पत्तों पर ओंस के मोती....!!

स्पर्श तुम्हारा....!
जैसे अंधेरों में कोई आशा की ज्योति....!!

स्पर्श तुम्हारा....!
जैसे मिट्टी का कोई खिलौना टूट जाने पर 
कोई बालिका है रोती....!!

स्पर्श तुम्हारा....!
जैसे उर्दू के होंठों पर संस्कृति....!!

स्पर्श तुम्हारा....!
जैसे बहुत ज्यादा रोने के बाद में सोती....!!

स्पर्श तुम्हारा....!
जैसे परमात्मा की कोई आरती....!!

©Aarti Sirsat
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