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बहुत अरसे बाद खुद के साथ आज अकेले बैठे, कभी ज्यादा

बहुत अरसे बाद खुद के साथ आज अकेले बैठे,
कभी ज्यादा तो कभी कम फर्क नजर आए,
क्या थे हम एक जमाने में ये सोचकर आई हसी,
और कितने बदल गए ये जानकर आंखों में आसूं आए,

जज्बाती थे बहुत हम भी मगर
अब सब्र करना सीख गए,
हारे हुए थे बहुत ज़िंदगी से एक वक्त में,
मगर अब जीत की बारिश में भीग गए,
नहीं आता समझ जो छूट गया वो सच में गैर था,
या धोका बस उन्ही से मिला जो बस अपने नजर आए,
बहुत अरसे बाद हम कुछ ज्यादा तो कभी कम फर्क नजर आए।।

©NEHHA RAGHAV #poem #Love 

#Thoughts
बहुत अरसे बाद खुद के साथ आज अकेले बैठे,
कभी ज्यादा तो कभी कम फर्क नजर आए,
क्या थे हम एक जमाने में ये सोचकर आई हसी,
और कितने बदल गए ये जानकर आंखों में आसूं आए,

जज्बाती थे बहुत हम भी मगर
अब सब्र करना सीख गए,
हारे हुए थे बहुत ज़िंदगी से एक वक्त में,
मगर अब जीत की बारिश में भीग गए,
नहीं आता समझ जो छूट गया वो सच में गैर था,
या धोका बस उन्ही से मिला जो बस अपने नजर आए,
बहुत अरसे बाद हम कुछ ज्यादा तो कभी कम फर्क नजर आए।।

©NEHHA RAGHAV #poem #Love 

#Thoughts
nehharaghav5807

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