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कलम के सिपाही- एक कविता जाँच परख कर रचे जो नेक वि

कलम के सिपाही- एक कविता

जाँच परख कर रचे जो नेक विचार,
आवाज उठाये जब हो अत्याचार,
हर दौर में रहे होकर जो निर्भीक,
ऐसे कलम के सिपाही हो तैयार। (2) 

असत्य, झूठ की गिरा दे जो दिवार,
शब्दों के संगम से जीते जो संसार,
हर डगर पर चले होकर जो निडर,
ऐसे कलम के सिपाही हो तैयार । (2)

बोध रचे जो करे समाज सुधार,
लेख लिखे जो मिटा दे अंधकार,
हर कागज पर बहे होकर जो निर्भय,
ऐसे कलम के सिपाही हो तैयार। (2)

गीत रचे जो गाये सबके परिवार,
अर्थ रचे जो सबको दे सम अधिकार,
हर कविता को गाये होकर जो प्रसन्न, 
ऐसे कलम के सिपाही हो तैयार।(2)

कवि आनंद दाधीच 🇮🇳

©Anand Dadhich #कलम_के_सिपाही #hindikavitaye #lekhak #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsof2023
कलम के सिपाही- एक कविता

जाँच परख कर रचे जो नेक विचार,
आवाज उठाये जब हो अत्याचार,
हर दौर में रहे होकर जो निर्भीक,
ऐसे कलम के सिपाही हो तैयार। (2) 

असत्य, झूठ की गिरा दे जो दिवार,
शब्दों के संगम से जीते जो संसार,
हर डगर पर चले होकर जो निडर,
ऐसे कलम के सिपाही हो तैयार । (2)

बोध रचे जो करे समाज सुधार,
लेख लिखे जो मिटा दे अंधकार,
हर कागज पर बहे होकर जो निर्भय,
ऐसे कलम के सिपाही हो तैयार। (2)

गीत रचे जो गाये सबके परिवार,
अर्थ रचे जो सबको दे सम अधिकार,
हर कविता को गाये होकर जो प्रसन्न, 
ऐसे कलम के सिपाही हो तैयार।(2)

कवि आनंद दाधीच 🇮🇳

©Anand Dadhich #कलम_के_सिपाही #hindikavitaye #lekhak #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsof2023