स्वर्ग - नरक अब कुछ नहीं कहीं मिले न दिल को चैन जब मन जागा तब भोर हुई जब मन सोया तो हो गई रैन गुज़र जाएगा ये दौर भी हमेशा टिके न कोई पीर पर्वत सी पीर पिघल गई निस्तब्ध है गंगा का नीर... © abhishek trehan 🎀 मुहावरे वाली रचना #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 मुहावरे अथवा लोकोक्ति का प्रयोग करते हुए अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए। 🎀 सबसे अच्छी रचना को कोरा काग़ज़ समूह की प्रोफाइल पर फीचर किया जाएगा। 🎀 अपनी रचना लिखने के बाद आपको प्रयोग किया हुआ मुहावरा अथवा लोकोक्ति को इस पोस्ट पर काॅमेंट करना है।