नारी की है अजब कहानी, क्षण में आग क्षण में पानी, घर को स्वर्ग बनाना हो या नर्क नारी ही कर सकती है, ये दुर्गा,काली स्वरुप है पर कैकयी,मंथरा का रूप भी है, इनको समझ पाना नामुमकिन है ये छांव है ये धूप भी है। यह प्रतियोगिता संख्या -28 है आप सभी कवि- कवयित्री का स्वागत है। 💐💐 🎧 चार(4) पंक्ति में रचना Collab करें नया नियम:- आपके रचना post करने के बाद आप जाँच पड़ताल कमेटी के किसी एक