नि:शब्द मुझे चरागो की रौशनी नही चाहिए , मैं जुगनु हुँ खुद जल जाऊँगा । उल्फत की बातें न करो हमसे , मैं उलझन में पड़ जाऊँगा । मैं तो रात का परीन्दा हुँ , उजाला कहाँ झेल पाऊँगा । मुझे काफ़ी गीरा चुके हो सब , अब मैं कहाँ गीर पाऊँगा । मैं दुर ही सही रीवाज़ो से , मैं नि:शब्द हट जाऊँगा । साज़ीश की अब जरुरत नही , बस कह दो मैं मर जाऊँगा । The ghazal of RAG #नि:शब्द #yqdidi #yqbaba #yqquotes #yqghazal #yqhindi #yqshayari