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उगलियां भी अपने आप थिरकती थीं जब मोहब्बत हुईं, गज

उगलियां भी अपने आप थिरकती थीं
जब मोहब्बत हुईं, 
गजल अपने आप बनने लगीं
कब कविता कब नज्म बन जाती होश नहीं रहा! 
जब दूरियों ने दी दस्तक तो
उदास कविता हुईं
गजलें सिमट गई
तन्हाई उतर आई
जीवन को होश नहीं रहा!!

©Jyoti Kumari
  ##होश नहीं रहा
jyotikumari2581

Jyoti Kumari

New Creator

##होश नहीं रहा #शायरी

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